पालनहार योजना राजस्थान 2020

चर्चा में क्यों?

हाल ही में राज्य सरकार द्वारागरीब व अनाथ बच्चों की परवरिश के लिए बच्चों के निकटतम रिश्तेदार/परिचित इच्छुक व्यक्ति को पालनहार बनाकर इन अनाथ बच्चों को पारिवारिक माहौल में शिक्षा, भोजन, वस्‍त्र एवं अन्‍य आवश्‍यक सुविधाएं उपलब्‍ध करवाने हेतु आर्थिक सहायता देने की पहल की गयी।

संचालन विभाग

सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता विभाग

योजना का विवरण –


• पालनहार योजना में गरीब व अनाथ बच्चों की परवरिश के लिए पालनहार को आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है।
• 5 वर्ष तक बच्चों को हर माह 500 रूपये तथा इसके बाद स्कूल में प्रवेश करने के बाद 5 से 18 वर्ष तक की उम्र के लिए बच्चों को हर माह 1,000 रूपये की राशि दी जाएगी।
• बच्चों के स्वेटर, जूतों, कपड़ो या अन्य सुविधा के लिए हर वर्ष 2,000 रूपये अलग से दिए जायेंगे।
• पालनहार परिवार की वार्षिक आय 1.20 लाख से अधिक नहींहोनी चाहिए।
• ऐसे अनाथ बच्चों को 2 से 6 वर्ष तक आंगनबाड़ी केंद्र पर तथा 6 वर्ष के बाद स्कूल में प्रवेशलेना अनिवार्य है।
लाभार्थी-
• राज्य के सभी अनाथ बच्चे, एड्स पीड़ित माता-पिता की संताने, जिन बच्चों के माता-पिता विकलांग हो, नाता जाने वाली अधिकतम तीन बच्चों को योजना की श्रेणी में रखा जायेगा, जिन बच्चों के माता-पिता आजीवन न्यायिक हिरासत में हो या आजीवन कारावास हो, कुष्ठ रोग पीड़ित माता-पिता की सन्तानें, पुनर्विवाहित विधवा की माता की संताने, तलाकशुदा /परित्यक्ता वाली महिला के बच्चे तथा निराश्रित पेंशन की पात्र विधवा माता की अधिकतम तीन संताने, इस योजना के पात्र होंगे।

उद्देश्य-


• गरीब व अनाथ बच्चों की पारिवारिक माहौल उपलब्ध करवाकर एक बेहतर तरीके से परवरिश करना।
• सभी अनाथ बच्चों को शिक्षा प्रदान करना।

अन्य तथ्य –


• राजस्थान सरकार ने सर्वप्रथम फरवरी, 2005 में राजस्थान पालनहार योजना की शुरुआत की, जहाँ इस योजना के लाभार्थी केवल अनुसूचित जाति के अनाथ बच्चें थे। बाद में सभी अनाथ बच्चों को इस योजना के अंतर्गत लाया गया।

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